सृष्टि, जगत में सभी जीव परमात्मा के लिए संतानवत् हैं तो परमात्मा प्राकृतिक प्रकोप के द्वारा क्या दर्शाना चाहता है? कई जीव पृथ्वी पर पैर रखते ही मृत्यु को क्यों प्राप्त हो जाते हैं ऐसा क्यों ?
मन में यह प्रश्न गूँजा कि इससे ईश्वर अपनी दयालुता दिखाना चाहता है या न्यायकारिता|
उत्तर मिला-
इसका अर्थ कहीं न्याय करना हो सकता है और कहीं यह भी हो सकता है कि भगवान ने पहले ही कह रखा था कि मैं सृष्टि बनाऊंगा और उसमें दुर्घटनाएं होंगी| आपका काम है दुर्घटना से बच के निकलना|
इसको एक उदाहरण से समझा जा सकता है-एक इंजीनियर ने कार बनाकर उससे सम्बन्धित पूरा विवरण बुकलेट में छाप कर खरीदार को दे दिया, खरीदार को बता दिया कि पहले बुकलेट पढ़नी है और उसको समझ कर फिर कार का इस्तेमाल करना है बुकलेट में पहले से ही यह सूचना दे रखी है कि जब कार का इंजन स्टार्ट होगा तो इंजन में गर्मी बढ़ेगी और जब गर्मी बढ़ेगी तो उसके रेडिएटर में कूलेंट डाल कर रखना, उसका इंजन ठंडा रखना और मीटर पर देखते रहना कितना तापमान है पेट्रोल इंजन में अगर 100 डिग्री से ऊपर तापमान गया तो इंजन में आग लगेगी|
यदि कार चलाने वाला व्यक्ति बुकलेट के नियमों की अनदेखी करे, और कार में आवश्यकता पड़ने पर कूलेंट नहीं डाले, रेडिएटर को चेक नहीं करें, मीटर देखे नहीं कि तापमान कितना बढ़ रहा है इस अवस्था में अगर कार में आग लगती है तो इसमें किसका दोष है| यह ड्राइवर और कस्टमर का दोष है| कार बनाने वाले इंजीनियर का दोष तो नहीं है|
इसी प्रकार से भगवान ने जब यह सृष्टि बनाई तो उसने कहा इस सृष्टि के अंदर भूकंप, तूफान, आंधी, सुनामी, टोरनैडो, जैसी कई प्राकृतिक विपदा आने की संभावना है आपका काम है सावधानी से चलते रहना, पता लगाना हमारा काम है कि कहां तूफान आ सकता है, कहां भूकंप आने वाला है कहां बाढ़ की स्थिति बन सकती है, फिर उस से बचकर रहना| अगर हम ध्यान ना दें तो किसकी गलती हमारी या ईश्वर की| हमारी गलती, इसलिए ईश्वर पर दोष नहीं आता हमारा काम है दुर्घटनाओं से बचना जब हम सड़क पर चलते हैं तो मोटर गाड़ी से बच कर चलते हैं ऐसे ही संसार में रहते हैं तो प्राकृतिक दुर्घटनाओं से बचकर चलना भी हमारा ही काम है| आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना विषाणु से उत्पन्न महामारी से फैली त्रासदी को झेल रहा है, इस वक्त भी हम नियमों का पालन नहीं करेंगे, सरकारी मिन्नतों के बावजूद भी हम घर से बाहर निकलेंगे तो हम भी उस विषाणु की जद में आयेंगे और फिर क्या हश्र होगा उससे आप सब भली भाँति वाकिफ हैं| फिर आप भगवान को दोष देंगे | सभी भारतवासियों से अनुरोध है कि घर पर रहें, विभिन्न आयोजनों से दूर रहें, आपकी हरकतों के परिणाम स्वरूप हजारों बेगुनाह इस विषाणु की जद में आयेंगे| कृपा कर घरों में रहें सुरक्षित रहकर दूसरों पर उपकार करें|
आपका
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें