शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

कठिन समय में -रमेश चन्द्र शाह

वर्ष 2015 की बात है जब मैं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करा रहा था, तभी मुझे एक पुस्तक के सिलसिले में एक प्रख्यात साहित्यकार से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वे किसी पहचान के मोहताज नहीं है। मैं बात कर रहा हूं हिंदी के स्वनामधन्य कथाकार, कवि और आलोचक या यूं कहें कि लगभग सभी विधाओं के सिद्धहस्त रचनाकार की जो अभी भी अपनी जरावस्था में पूर्ण सिद्दत के साथ लेखन में रत रहते हैं, जितनी उम्र है, संख्यात्मक रूप से उससे कहीं अधिक पुस्तकों की रचना करने वाले मूर्धन्य रचनाकार भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित श्री रमेश चंद्र शाह जी के घर एक पुस्तक के साक्षात्कार हेतु इनसे वर्ष 2015 में सौभाग्य से जाना हुआ। काफी आत्मीयता के साथ कुछ देर वार्तालाप हुआ पुस्तक योजना पर चर्चा हुई, कुछ बात इन्होंने अपने मन की कहीं, कुछ मैंने अपने अंतर्मन की, आत्मीय वार्तालाप का दौर समाप्त हुआ मैं उनसे मिलकर वापस आ गया, पर कभी न सोचा था कि यह मिलना किसी जगह अंकित भी होगा। मैंने अक्सर यह देखा है कि जिन भी श्रेष्ठ रचनाकारों से मैं पहली बार मिला उनसे मिलना ऐसा लगा जैसे हमारे बीच की मुलाकात सदियों पुरानी है। अपनी पुस्तक (कठिन समय में) का कुछ अंश मुझे बनाने के लिए रचनाकार का कोटि-कोटि अभिनंदन। आप हमेशा स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों यही प्रभु से कामना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें