गुरुवार, 16 जुलाई 2020

पुनर्जन्म

अभी तक पुनर्जन्म के
सुने और सुनाये गये
किस्से कई,

कई बार सिरे से
किया गया खारिज
इस अवधारणा को

अनसुलझे से
रह गये प्रश्न कई 

माना जाता रहा 
इसके बारे में 
व्यक्ति के इहलोक
त्यागने के बाद होता है
पुनर्जन्म अनेकों बार

पर 
हम शायद
बहुत दूर की कौड़ी 
खोज रहे होते हैं उस समय,

नहीं जानते
बच्चों के जन्म के साथ ही
हम ले लेते हैं पुनर्जन्म
हमारा दुहराव
समक्ष  रहता है हमारे,

वर्ण, स्वर, आकृति
सत्व, बुद्धि 
बच्चे का सब कुछ तो 
होता ही वैसा 
जैसे होते अभिभावक,

इस उत्पत्ति में 
माता-पिता की 
आत्मा का होता है प्रवेश
संतान में 

और दोनों की आत्मा ही 
संचार करती है संतान में,

वह अवयवी होकर
बच्चों में ही जन्म लेते हैं
इसी तरह चलता रहता
पुनर्जन्म का सिलसिला
पीढ़ी दर पीढ़ी
परिवेश और समाज के साथ 
एक नये रूप में 

डाॅ. भूपेन्द्र हरदेनिया

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