मुखिया ने कहा
मंत्रियों ने सुना,
मंत्रियों ने
कहा अधिकारियों से,
उन्होंने ने भी वैसे ही सुना
जैसे मंत्रियों ने सुना था,
कर्मचारियों के कान तक,
पहुँची वही बात
जो अधिकारियों के द्वारा
सरकार से चली थी
जनता तक पहुँचा दी गई,
जनता कह रही है जनता से ही
अब वही बात,
हमारी बतकही
सरकार की बात के साथ
सिर्फ विस्तार पाती है बस
© डॉ. भूपेन्द्र हरदेनिया
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