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👀चालाकियां
चारों तरफ,
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विरक्तियां
सब के मन में,
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मजबूरियां
फॅंसती हैं सबके साथ,
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सुनना
किसी की नहीं है,
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समझदार
सब ,
❓❓❓
समझना
कोई नहीं चाह रहा,
🤔🤔🤔
जमाना
बदलता जा रहा ,
➿➿➿
संवेदनाएं
मर चुकी हैं,
🎶🎶🎶
करुणा
गुजरे जमाने की बात हुई,
🔯🔯🔯
धन
माई बाप सबका,
💲💲💲
त्यागी
बनना नहीं चाहता कोई,
♦♦♦
त्याग
सब चाहते हैं दूसरों से,
🔔🔔🔔
पालिटिक्स
गांव गांव घर-घर
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डॉ. भूपेन्द्र हरदेनिया
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