शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

चलते रहिए

एतरेय ब्राह्मण 

कलि: शयानो भवति संजिहानस्तु द्वापर:
उत्तीष्ठमस्त्रेताभवति कृतम समपदयते चरमश्चरेवेति|

सोने वाला पुरुष कलियुग में रहता है , अंगड़ाई लेने वाला द्वापर मे पहुँच जाता है | उठकर खड़ा हुआ पुरुष त्रेता मे आ जाता है | आशा ओर उत्साह से भरा सत्य के मार्ग पर चलाने वाले के सामने सतयुग आ जाता है ,इसलिए चलते रहो |

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