कदली वृक्ष की झालर
जिसमें कई सैंकडो़ं फल
रहते हैं लटके,
दिन ब दिन
परत दर परत
एक के बाद एक
खुलते जीवन पुष्प
में फलित संतानों
और उन सब के बढ़ते
भार के साथ ही
वृक्ष लगातार झुकता जाता है,
वो झालर
जिसे सम्भाले रखा था
बहुत दिनों से वृक्ष ने
अपनी क्षमता से अधिक
एक दिन टूट जाती है वह
फल बिखर जाते हैं जमीन पर
और वृक्ष हो जाता है
रीढ़ विहीन,
जीवन भर
अत्यधिक बोझ
वहन करने
सब कुछ सहने के बाद भी
हाथ लगता है
तो सिर्फ बिखराव
कई बार जीवन में,
वे फल
जिन्होंने
जीवनी शक्ति ली
अपने मूल से
और फलते फूलते रहे
उसकी वजह से ही
वे आते हैं अब
काम दूसरों के|
-डाॅ. भूपेन्द्र हरदेनिया
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