कुछ रिश्ते
वास्तविक रूप में
इलास्टिक के दो छोर की तरह ही
होते हैं
जिनमें गुण होता है प्रत्यास्थता का
बाह्य बल विकृति पैदा करता है उनमें
दोनों ओर खिचाब का कारण भी वही होता है
लेकिन
हम उन्हें कितना ही तान लें
किसी के भी नाम पर
कोई भी वजह हो
नहीं होते अलग
जैसे ही गलतफहमियों
का खिचाव,
शिकवों की हथेलियों से छूटता है
तो बल टूटता है
फिर दुगने वेग से मिलते हैं
वे आते हैं अपनी मूल स्थिति में
खुशफहमियों के साथ
कुछ
सच्चे रिश्ते
अनकट जैम होते हैं,
- डाॅ. भूपेन्द्र हरदेनिया
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