तीसरी बेटी
दो बेटियों के बाद उम्मीद थी,
एक बेटा होने की।
आस थी, कर सकेगा सहयोग?
हमारा? घर में?
पर इत्तफाकन
जगह बेटे के, हुई तीसरी बेटी
उसका आगमन
उल्लास की जगह रूदन
सिर्फ खामोशी और मातम
पर कारण क्या
न पाल पाने का या डर समाज का
गरीबी का या असुरक्षा का
दहेज का या सिर्फ अज्ञान का
या सिर्फ और सिर्फ
लड़की होने का।
अब क्या हो
कुछ नहीं,
निर्णय सिर्फ यही
कि अब इसे नहीं रखा जा सकता
पालन-पोषण इसका यहॉं
किया नहीं जा सकता
मजबूरी है सरकार
इसके आने से घर पर
पड़ेगा अतिरिक्त भार
अब इसका क्या करना होगा
किसी को गोद दे कर
या इसे दान कर
किसी सूनी गोद को भर देना होगा |
दो बेटियों के बाद उम्मीद थी,
एक बेटा होने की।
आस थी, कर सकेगा सहयोग?
हमारा? घर में?
पर इत्तफाकन
जगह बेटे के, हुई तीसरी बेटी
उसका आगमन
उल्लास की जगह रूदन
सिर्फ खामोशी और मातम
पर कारण क्या
न पाल पाने का या डर समाज का
गरीबी का या असुरक्षा का
दहेज का या सिर्फ अज्ञान का
या सिर्फ और सिर्फ
लड़की होने का।
अब क्या हो
कुछ नहीं,
निर्णय सिर्फ यही
कि अब इसे नहीं रखा जा सकता
पालन-पोषण इसका यहॉं
किया नहीं जा सकता
मजबूरी है सरकार
इसके आने से घर पर
पड़ेगा अतिरिक्त भार
अब इसका क्या करना होगा
किसी को गोद दे कर
या इसे दान कर
किसी सूनी गोद को भर देना होगा |
जानती हो भागवान,
यह भी एक पुण्य कर्म होगा
लेकिन
जगह बेटी के
होता अगर तीसरा बेटा
तो क्या
यह पुण्य कर्म कोई करता
कोई किसी की सूनी कोख भरता।
क्या फिर उस लड़के का दान हो पाता।।
फिर लड़कियों का दान क्यॅंू?
यह एक सवाल है
जबाव सिर्फ
लड़की होने का है
इसीलिए दान भी उसी का है
कन्यादान इत्यादि।
यह भी एक पुण्य कर्म होगा
लेकिन
जगह बेटी के
होता अगर तीसरा बेटा
तो क्या
यह पुण्य कर्म कोई करता
कोई किसी की सूनी कोख भरता।
क्या फिर उस लड़के का दान हो पाता।।
फिर लड़कियों का दान क्यॅंू?
यह एक सवाल है
जबाव सिर्फ
लड़की होने का है
इसीलिए दान भी उसी का है
कन्यादान इत्यादि।
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